अगर आप डेयरी फार्मिंग करते हैं तो ये खबर आपके बहुत काम की है. क्योंकि छोटे से काम आमदनी को डबल कर देते हैं. आइए आपको बताते हैं कैसे?

उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में विशेषतौर से पंजाब व हरियाणा में पशुधन पशुउत्पादन की दृष्टि से अवल दर्जे का माना जाता है. उचित रख-रखाव देखभाल से हम अपने पशुओं को स्वच्छ रखकर स्वच्छता के साथ उत्पादन की बढवार को ओर भी अधिक बढा सकते हैं. पशुओं का रख-रखाव स्वस्थता व स्वच्छता इस प्रकार से हो कि अनावश्यक रूप से जरूरी उर्जा का क्षय न हो. इसी प्रकार स्वच्छ दूध उत्पादन का सीधा मतलब दूध से आमदनी हैं. अगर दूध साफ सुथरा है तो आपको पैसा ज्यादा मिलेगा. अगर दूध साफ नहीं है तो आपका दूध कोई खरीदेगा नहीं. इसके लिए आपको पशु की साफ सफाई करनी चाहिए.लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविधालय हिसार के वरिष्ठ विस्तार विशेषज्ञ  डॉ0 राजेंद्र सिंह डेयरी फार्मिंग से जुड़े किसानों के लिए जरूरी जानकारी दे रहे हैं.

(1) क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए

आपका दूध निकालने का स्थान व बर्तन साफ.सुथरा होना चाहिए तथा जो व्यक्ति दूध निकालता है वह साफ.सुथरा हो. वह व्यक्ति बीमार नहीं होना चाहिए. यदि पशु का शरीर खासतौर से पीछे का हिस्सा यानी थन लेवटी इत्यादि पर गोबर व पेशाब लगा है तो इसकी दुर्गंध दूध में अवश्य आयेगी और एक तो पीने वाले इस दूध को बिल्कुल भी पसंद नहीं करेंगे दूसरा यह दूध लंबे समय तक ठीक भी नहीं रहेगा अर्थात दूध जल्दी ही खराब हो जायेगा. इसके साथ साथ हम स्वच्छ दूघ से उत्पाद बनाएगे तो वो भी अव्वल दर्जे की गुणवता वाले बनेगे.इस प्रकार आपके पशु का स्थान व दूध निकालने वाला बर्तन साफ सुथरे हों तथा गंदगी रहित हों तो आपको जरूर स्वच्छ दूध प्राप्त होगा तथा

(2) दूध जल्दी खराब न हो

सोध के मुताबिक साफ थन लेवटी से निकला हुआ दूध लंबे समय तक खराब नहीं होता. इसके बाद इस दूध को मलमल के कपडे से छानकर दूध को दूध की सहकारी सोसायटी में दे आएं. सोसायटी में बर्तनए दूध से जुडे पुरूष घर इत्यादि का सफाई का भी विशेष ध्यान रखें. स्वच्छता दूध उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. आमतौर पर गांव में खुली बाल्टी में दूध निकालते हैं. जिसमें ज्यादा से ज्यादा धूल. मिटटी बाल चारे के तिनके अन्य चमड़ी से उतरे अवशेष व अन्य दूध को खराब करने वाले तत्व आसानी से दूध के अंदर चले जाते हैं. इसके स्थान पर गुम्बदवाली बाल्टी का दूध निकालने में प्रयोग करें. इसके बहुत फायदे हैं क्योंकि इसके अंदर कम से कम दूध को खराब करने वाले तत्वों का प्रवेश रूक जायेगा क्योंकि इस बाल्टी का ज्यादा हिस्सा उपर से ढका हुआ होता हैं. इसके साथ-साथ पशुपालकों को चाहिए कि पशुओं को सुगंध वाला हरा चारा तथा दाना दूध निकालने से दो- तीन घंटे पहले खिलाएं. दूध निकालते समय शांत वातावरण के साथ केवल सन्तुलित आहार ही खिलाएं. इसके बहुत फायदे हैं.

(3) दूध निकालने के लिए सही वर्तन का इस्तेमाल करें

इस विधि का प्रयोग करने पर आपको स्वंय परिवर्तन महसूस होगा. दूध दुहने के समय पशु के पिछले हिस्सेए अयन और थनों की भली प्रकार से सफाई करें. अयन और थन धोने के लिए साफ पानी का उपयोग करें. दूध दोहने वाला व्यक्ति पूर्णतय स्वच्छ व स्वस्थ हो तथा उसके हाथ व उंगलियों पर किसी तरह का घाव न हो. पशुघर में मलमूत्र की निकासी का सुनियोजित ढंग से प्रबंध करना तथा दोहने के समय गोबर से बचाव करें. पशुघर में मक्खियों के आने से रोकने के लिए उचित प्रबंध करें. दूध उत्पादन में स्वच्छ जल व बर्तनों का इस्तेमाल करे. दूध दोहने के बाद वितरण के दौरान ठण्डा रखें जिससे उसमें जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि न होने पाए. कच्चे दूध को उंगली डालकर न चखें. दूध को ठीक समय पर गर्म करें तथा ठंडा होने तक ढक कर रखें व दूध को उबाल कर सेवन करें.

(4) दूध में गड़बड़ी हुई तो ये बीमार होंगे

यदि स्वच्छ दूध उत्पादन नहीं किया जाता तो दूध से मनुष्य के अंदर विभिन्न रोग हो सकते हैं जैसे क्षय रोगए माल्टा बुखार यब्रूसेलोसिसद्ध दस्त व पेचिस लिस्टीरियोसिस लेप्टोस्पाइरोसिस, स्ट्रैप्टोकोकोसिस, स्टैफाइलोकोकोसिस, सालमोनिलोसिस, पीलिया यहिपेटाइटिसद्ध, क्यू.फीवर, टोक्सोप्लाज्मोसिस, डिप्थारिया, स्कारलेट ज्वर, पोलियो एवं माइकोटोक्सीकोसिस इत्यादि.

(5) देखभाल के साथ साथ व्यंजन के माध्यम से ज्यादा लाभ कमा सकते है

पशु का दूध हमेशा पूर्ण हस्त विधि अर्थात पूरे हाथ के बीच थन को लेकर प्यार से दबाकर दूध निकालना चाहिए लेकिन हमारे भाई ज्यादातर अंगूठा दबाकर दूध निकालते हैं जो कि गलत है. क्योंकि इससे पशु के थन पर गांठ पड जाती हैं तथा थनैला रोग हो जाता हैं. दूध निकालने वाला आदमी बीमार नहीं होना चाहिए तथा दूध निकालते वक्त पशु के चारों तरफ शांत वातावरण होना चाहिए. रोगों से बचाव करना इलाज से बहतर हैं. इसलिए पशुओं को मुंह.खुरए गलघोंटूए शीतलामाता आदि से बचाव के लिए टीके अवश्य लगवाएं. यदि हम उपर लिखी इन बातों पर ध्यान देंगे तो भारत में भी पशुओं से अच्छा दूध.उत्पादन ले सकते हैं। तथा इस प्रकार स्वच्छ उत्पादन करके हमें इस दूध से व्यंजन जैसे की छेना, रसगुुला, छेना, खीर, छेना, मुर्की, रसमलाई, पनीर, गुलाब जामुन. कलाकंद, आईसक्रिम व मटका कुल्फी इत्यादी बना सकते है तथा कई गुणा दूध की कीमत से ज्यादा लाभ कमा सकतेे है़.

 

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